हमारे साथ ज़माना है तुम भी साथ चलो जो हौसला ही बढ़ाना है तुम भी साथ चलो हमें गर अपना बनाना है तुम भी साथ चलो जो दिल का दर्द मिटाना है तुम भी साथ चलो जहाँ पनाह हर इक ख़स्ता दिल को मिलती है वही हमारा ठिकाना है तुम भी साथ चलो जहाँ में अद्ल-ओ-मुरव्वत कहाँ हैं पोशीदा उन्हीं को ढूँड के लाना है तुम भी साथ चलो ख़ुलूस उन्स-ओ-मोहब्बत की रहगुज़ारों से जफ़ा का नक़्श मिटाना है तुम भी साथ चलो ज़माना नींद में ग़फ़लत की सो रहा है इसे झिंझोड़ना है जगाना है तुम भी साथ चलो फिर आज 'जोश' ने ये कह दिया सर-ए-महफ़िल ग़ज़ल इक उन को सुनाना है तुम भी साथ चलो