नामा दिलदार तक नहीं पहुँचा हाल-ए-दिल यार तक नहीं पहुँचा वो भी मेआ'र तक नहीं पहुँचा सच अभी दार तक नहीं पहुँचा फूल का रंग ख़ूब था लेकिन तिरे रुख़्सार तक नहीं पहुँचा उस को तकलीफ़ की ख़बर क्या हो पाँव जो ख़ार तक नहीं पहुँचा ख़ैर गुज़री कि आज क़ातिल का हाथ तलवार तक नहीं पहुँचा कब मिरा कारवाँ ज़माने में राह-ए-दुश्वार तक नहीं पहुँचा फ़िक्र थी सब को अपने चेहरों की कोई किरदार तक नहीं पहुँचा तेरी रहमत से बे-ख़बर ही रहा जो गुनह-गार तक नहीं पहुँचा दिल-ए-बेताब तेरा अफ़्साना निगह-ए-यार तक नहीं पहुँचा ज़ेर-ए-दीवार मैं जहाँ बैठा साया दीवार तक नहीं पहुँचा