हमें अच्छी नहीं लगती ज़माने की कोई ख़ुशबू हमारे दिल में जब से बस गई है आप की ख़ुशबू तेरे हिस्से की चीज़ें मैं किसी को दे नहीं सकता तिरी ख़ातिर ही रख छोड़ी है मैं ने चाँदनी ख़ुशबू तुम्हारे वास्ते शाइ'र ग़ज़ल की बात करते हैं तुम्हारे दम से देती है जहाँ में शायरी ख़ुशबू कोई पूछे तो बस ये कह के तुम ख़ामोश हो जाना मोहब्बत फूल है और आफ़्ताब-ए-आगही ख़ुशबू तुम्हारे और मेरे दरमियाँ तफ़रीक़ अब भी है तुम्हारी ज़िंदगी ज़ह्र और मेरी ज़िंदगी ख़ुशबू हमारे शहर में सब नफ़रतों के बीज बोते हैं बस इक 'फ़िरदौस' है जो बाँटता है प्यार की ख़ुशबू