हमें नहीं आते ये कर्तब नए ज़माने वाले हम तो सीधे लोग हैं यारो वही पुराने वाले उन के होते कोई कमी है रातों की रौनक़ में यादें ख़्वाब दिखाने वाली ख़्वाब सुहाने वाले कहाँ गईं रंगीन पतंगें लट्टू काँच के बँटे अब तो खेल भी बच्चों के हैं दिल दहलाने वाले वो आँचल से ख़ुशबू की लपटें बिखराते पैकर वो चिलमन की ओट से चेहरे छब दिखलाने वाले बाम पे जाने वाले जानें उस महफ़िल की बातें हम तो ठहरे उस कूचे में ख़ाक उड़ाने वाले जब गुज़रोगे उन रस्तों से तपती धूप में तन्हा तुम्हें बहुत याद आएँगे हम साए बिछाने वाले तुम तक शायद देर से पहुँचे मिरा मोहज़्ज़ब लहजा पहले ज़रा ख़ामोश तो हों ये शोर मचाने वाले हम जो कहें सो कहने देना संजीदा मत होना हम तो हैं ही शाएर बात से बात बनाने वाले अच्छा पहली बार किसी को मेरी फ़िक्र हुई है मैं ने बहुत देखे हैं तुम जैसे समझाने वाले ऐसे लबालब कब भरता है हर उम्मीद का कासा मुझ को हसरत से तकते हैं आने जाने वाले सफ़्फ़ाकी में एक से हैं सब जिन के साथ भी जाओ का'बे वाले इस जानिब हैं वो बुत-ख़ाने वाले मेरे शहर में माँग अब तो बस उन लोगों की है कफ़न बनाने वाले या मुर्दे नहलाने वाले गीत रसीले बोल सजीले कहाँ सुनोगे अब तुम अब तो कहता है 'इरफ़ान' भी शेर रुलाने वाले