हमेशा मानना ऐ यार मशवरा दिल का कभी ग़लत नहीं होता है फ़ैसला दिल का बड़ा अजीब है यारो मोआमला दिल का ग़म-ओ-अलम से है दिन रात वास्ता दिल का अलावा इस के न हमदम न कोई रहबर है हुजूम-ए-ग़म लिए फिरता है क़ाफ़िला दिल का कभी ख़ुशी से कभी ग़म में क्यों धड़कता है समझ में कुछ नहीं आता है फ़ल्सफ़ा दिल का तमाम जिस्म के आ'ज़ा पे हुक्मरानी है ख़ुदा ने ख़ूब बनाया है मर्तबा दिल का मिलें तो मिलने की रहती है आरज़ू दिल में उलझ रहा है कई दिन से मसअला दिल का तुझे बनाएँगे अपना बनाएँगे अपना कोई बदल नहीं सकता है फ़ैसला दिल का अगर अज़ीज़ है तुम को सुकून-ए-दिल यारो बनाए रखना हसीनों से फ़ासला दिल का ग़मों का बोझ मसाइब हों या परेशानी कभी न छोड़ना ऐ 'दर्द' हौसला दिल का