हमीं हैं मश्क़-ए-सितम-हा-ए-आसमाँ के लिए चुने गए हैं हमीं यास-ए-जावेदाँ के लिए क़सम ख़ुदा की नहीं शौक़-ए-ज़िंदगी हम को हमें ये चाहिए उस हुस्न-ए-जाँ-सिताँ के लिए इज़ाफ़ा और ग़म-ए-जाँ-सिताँ में होता है असर बना ही नहीं है मिरी फ़ुग़ाँ के लिए ख़बर नहीं मिरा तिनकों का एक जा करना है बिजलियों के लिए या कि आशियाँ के लिए किसी की तेग़ गले पर चले तो क्या उस से कहाँ नशात-ए-शहादत है सख़्त-जाँ के लिए हज़ारों ज़ुल्म वो करता है इस बहाने से अदा तुम्हारी खिलौना है आसमाँ के लिए वो जो है सारे ज़माने का जुज़ तिरे 'बेदिल' तड़प ये है उसी बेगाना मेहरबाँ के लिए