हम-नज़र और हम-ख़याल कहाँ अस्र-ए-हाज़िर है हस्ब-ए-हाल कहाँ सरहद-ए-काएनात के आगे ज़ह्न का अब बिछाऊँ जाल कहाँ पस्त अक़दार की फ़ज़ा हो जब कोई पैदा करे कमाल कहाँ क्यों न तन्हाई हम करें महसूस इश्क़ का हुस्न से विसाल कहाँ शौक़ से अब मिलाएँ वो नज़रें मेरी आँखों में अब सवाल कहाँ अब ग़म-ए-यार साथ है मेरे अब मिरी ज़िंदगी वबाल कहाँ ख़ैर-ओ-शर की भली कही तुम ने दरमियाँ उन के इंफ़िआल कहाँ हक़-नवाई के वास्ते 'मंसूर' मिम्बर-ओ-दार का सवाल कहाँ