हम-सफ़र रातों के साए हो गए चाँद तारे रास्तों में सो गए क़िस्सा-ए-दिल में वफ़ा की बात पर उस ने यूँ देखा कि हम चुप हो गए तुम तो कोई अजनबी हो अजनबी जो हमारे थे वो तुम क्या हो गए मंज़िलें आवाज़ दे कर थक गईं क़ाफ़िले गर्द-ए-सफ़र में खो गए आज तक आँखों में इक तस्वीर है गो उसे देखे ज़माने हो गए