नफ़अ' नुक़सान देखा जा रहा है मोहब्बत में भी सोचा जा रहा है अनाएँ रेहन रक्खी जा रही हैं ख़ुदी को आज बेचा जा रहा है मिरी मा'सूम सी कुछ ख़्वाहिशों को सर-ए-बाज़ार रौंदा जा रहा है कोई सूरज सवा नेज़े पे ला कर मिरी हिम्मत को परखा जा रहा है यही क्या कम है तेरी आशिक़ी में हमारा नाम लिक्खा जा रहा है मोहब्बत की सज़ा पाई है 'दाएम' मिरी साँसों को रोका जा रहा है