हाँ उन से मिरी तर्ज़-ए-मुलाक़ात अलग है दीवाना हूँ मैं मेरी हर इक बात अलग है ये दर्द ये सोज़िश ये ख़लिश और ये आँसू जो आप ने बख़्शी है वो सौग़ात अलग है तुम सोज़िश-ए-हालात से किस तरह बचोगे मैं ख़ैर से जी लूँगा मिरी बात अलग है है जुर्म यहाँ आरज़ू-ए-सुब्ह-ए-दरख़्शाँ हर रात से ऐ दोस्त मिरी रात अलग है कुछ देर बरस कर नहीं थमते मिरे आँसू मौसम ये निराला है ये बरसात अलग है वो धूप मैं शबनम वो शरर और मैं पानी है उस की जुदा हस्ती मिरी ज़ात अलग है