हर आईने से मेरा दिल पूछता है ये 'सालिक' वही है तू पहचानता है वो सच लाए जितने वो सब झूठ निकले मुझे झूठा कहते हैं वो इंतिहा है ख़ुदा आज़माए सनम आज़माए सनम जानते हैं ख़ुदा जानता है बहुत सूनी सूनी हैं लैला की राहें कि मजनूँ का दिल बे-सदा हो गया है ये माना कि सब हैं रवाँ सू-ए-मंज़िल जिसे देखो वो क़ाफ़िले से जुदा है मैं तौबा-ज़दा हूँ मुझे ये बताओ मिरे बा'द मयख़ाने का हाल क्या है