हर बात का जवाब सा है भी नहीं भी है चेहरा तिरा किताब सा है भी नहीं भी है देखा है उस को पर नहीं देखा बताएँ क्या उस रुख़ पर इक नक़ाब सा है भी नहीं भी है करना तो चाहते हैं बहुत कुछ अगर मगर ज़ेहनों में इंक़लाब सा है भी नहीं भी है कह तो दिया है हम ने सर-ए-बज़्म हाल-ए-दिल सुन कर वो ला-जवाब सा है भी नहीं भी है आना तो चाहते हैं मिरे पास वो मगर उन को कुछ इज्तिनाब सा है भी नहीं भी है वो महव-ए-गुफ़्तुगू हो तो लगता है यूँ मुझे बजता हुआ रबाब सा है भी नहीं भी है उस की गली में हाल हर इक ना-मुराद का मुझ ख़ानुमाँ-ख़राब सा है भी नहीं भी है वो हम को मिल गए हैं मिले हैं मगर कहाँ इक दरमियाँ हिजाब सा है भी नहीं भी है 'हामिद' नशा शराब सा है भी नहीं भी है साग़र में आफ़्ताब सा है भी नहीं भी है