हर बरहमन बुत हर इक मुस्लिम ख़ुदा ले जाएगा मेरे दर से हर मरीज़ अपनी दवा ले जाएगा ख़ुद मुझे आना है तेरे पास या बुरदा तिरा मेरे पास आएगा और मुझ को उठा ले जाएगा मैं हद-ए-फ़ासिल तक आ पहुँचा जो शौक़-ए-वस्ल में वो हद-ए-फ़ासिल को और आगे बढ़ा ले जाएगा मुझ को जाने किस तरफ़ से ला रहा है रास्ता मुझ को जाने किस तरफ़ ये रास्ता ले जाएगा अपने घर के सारे दरवाज़े खुले रखता हूँ मैं जुज़ मिरे इस घर से कोई चोर क्या ले जाएगा आईना-बीनी के बा'द 'आकाश' आँखों को सँभाल एक भी आँसू अगर टपका बहा ले जाएगा