हर बुरे वक़्त में काम आया था By Ghazal << हसरतें बन कर निगाहों से ब... ग़म की अँधेरी राहों में त... >> हर बुरे वक़्त में काम आया था अगले वक़्तों का वो हम-साया था आइने में था वो किस का चेहरा मैं जिसे देख के शरमाया था गिर गया आज वो बूढ़ा बरगद मेरे आँगन का जो सरमाया था अहल-ए-ज़र से भी ख़रीदा न गया माया-ए-नाज़ वो बे-माया था Share on: