हर दम की कश्मकश से निकल रास्ता बदल अब और उन के साथ न चल रास्ता बदल ये ख़लफ़िशार-ए-ज़ेहन ये ख़दशे ये हुज्जतें इन सब का बस है एक ही हल रास्ता बदल नख़वत-परस्त लोगों को छोड़ उन के हाल पर वक़्त उन के ख़ुद निकालेगा बल रास्ता बदल सोचों में जिन की ताज़ा हवा का गुज़र नहीं कर देंगे तेरा ज़ेहन भी शल रास्ता बदल ये तेरी ज़िंदगी है गुज़ार अपने ढंग से साँचे में दूसरों के न ढल रास्ता बदल तू जिन का हम-क़दम है ये बे-मेहर लोग हैं होंगे तिरे ये आज न कल रास्ता बदल नुक़सान देगी तुझ को बहुत गू-मगू 'नईम' ताख़ीर कर न एक भी पल रास्ता बदल