यूँ वफ़ा आज़माई जाती है दिल की रग रग दिखाई जाती है अपनी सूरत के आइने में मुझे मेरी सूरत दिखाई जाती है एक हल्की सी मुस्कुराहट से नई दुनिया बनाई जाती है न बने बात कुछ तो हँस देना बात यूँ भी बनाई जाती है जलने वाला जले धुआँ भी न हो आग यूँ भी लगाई जाती है जाने वाले तुझे ख़बर भी है इक क़यामत सी आई जाती है चश्म-ए-उम्मीद तुझ को उस की शक्ल दूर से फिर दिखाई जाती है दिल की छोटी सी इक कहानी थी ख़त्म पर वो भी आई जाती है वो जो चमका था इक सितारा सा इक घटा उस पे छाई जाती है दिल पे उभरी थी वो जो इक तस्वीर कितनी जल्दी मिटाई जाती है लौ लगाई थी शम-ए-महफ़िल से वो भी अब झिलमिलाई जाती है दूसरों से 'रज़ा' किसी की याद किस तरह से भुलाई जाती है