हर एक काम सलीक़े से शानदार करो बुरे अमल से बचो नेकियों से प्यार करो चमन की ताज़ा कली भी गुलाब हो जाए बहार आने तलक कुछ तो इंतिज़ार करो मदद ग़रीब की करना सवाब है प्यारे अज़ीम काम है इस को तो बार बार करो अदावतों की फ़ज़ा कह रही है रो रो कर वतन का चेहरा-ए-रौशन न दाग़-दार करो नहीफ़ लाग़र-ओ-मिस्कीन मुस्तहिक़ सारे गले लगाओ बिचारों को ख़ूब प्यार करो जहाँ से ज़ुल्म-ओ-तशद्दुद मिटा के दम लेंगे इसी जुनून को आ'साब पर सवार करो क़दम क़दम पे बड़ी मुश्किलें भी आएँगी मगर जो हक़ है वही राह इख़्तियार करो यही तलब तुझे 'तारिक़' रही हमेशा से कि क़िस्सा-हा-ए-त'अल्लुक़ में इख़्तिसार करो