हर घड़ी इंक़लाब में गुज़री ज़िंदगी किस अज़ाब में गुज़री शौक़ था माना-ए-तजल्ली-ए-दोस्त उन की शोख़ी हिजाब में गुज़री करम-ए-बे-हिसाब चाहा था सितम-ए-बे-हिसाब में गुज़री वर्ना दुश्वार था सुकून-ए-हयात ख़ैर से इज़्तिराब में गुज़री राज़-ए-हस्ती की जुस्तुजू में रहे रात ताबीर-ए-ख़्वाब में गुज़री कुछ कटी हिम्मत-ए-सवाल में उम्र कुछ उमीद-ए-जवाब में गुज़री किस ख़राबी से ज़िंदगी 'फ़ानी' इस जहान-ए-ख़राब में गुज़री