हर क़दम चम्पई फूलों के खिलाने वाले गुम न हो जाएँ तिरी राह में जाने वाले फिर बड़े ज़ोर से दरवाज़ा कोई बंद हुआ फिर कहा दिल ने अभी आएँगे आने वाले उम्र-भर ढूँडते-फिरते रहे अपनी आवाज़ तेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाने वाले चाँद ठहरा सा हवा बंद सी पत्ते चुप से सो रहे जा के कहीं प्यार जगाने वाले और अगर मैं ने तुझे देखना चाहा ही न हो मुँह उधर फेर के ऐ आँख चुराने वाले क्या कोई मेरे सिवा मिल न सका मेरा हरीफ़ मेरी गर्दन में मिरे हाथ पहनाने वाले वो भी मजबूर है ऐ 'अश्क' सुने किस किस की एक सुनने को तो लाखों ही सुनाने वाले