अब मुझ से ये रात तय न होगी By Ghazal << ख़ूँ रुलाती रही इक उम्र-ए... हर क़दम चम्पई फूलों के खि... >> अब मुझ से ये रात तय न होगी पत्थर ये जबीं न है न होगी ख़ुर्शीद न हो तो शहर-ए-दिल में परछाईं सी कोई शय न होगी दरवाज़ा खटक उठेगा इक बार दस्तक कभी पय-ब-पय न होगी आँखों में लहू संभाल रखना अब के मीना में मय न होगी Share on: