हर-नफ़स वारदात है यारो कश्मकश में हयात है यारो बज़्म में इतनी गहरी ख़ामोशी राज़ की कोई बात है यारो आश्ना अजनबी में भेद नहीं हर तरफ़ जैसे रात है यारो मेरे दिल को क़रीब से देखो मरकज़-ए-हादसात है यारो दोस्ती और इस ज़माने में किस क़दर बे-सबात है यारो ग़म के अफ़्साने यूँ न आम करो ये मिरी काएनात है यारो ख़ुद-फ़रामोश हो चला है 'वसी' किस का ये इल्तिफ़ात है यारो