दिल की क़ीमत घट जाती है इज़हार-ए-जज़्बात के बाद सूना सूना घर का आँगन लगता है बारात के बाद साँसों की इक माला थी जो बे-ख़बरी में टूट गई और भला क्या नज़्र करूँ मैं दिल जैसी सौग़ात के बाद और इज़ाफ़ा हो जाता है आँखों की वीरानी में कौन सा मौसम आ जाता है अश्कों की बरसात के बाद मुझ को देख के हँसने वालो किस को ये दौलत मिलती है इस मंज़िल पर मैं पहूँचा हूँ जाने किन हालात के बाद किस की याद में उलझा उलझा आहें भरता फिरता है किस का नाम लिया करता है दीवाना हर बात के बाद प्रेम दिवाना तेरा 'वसी' ये पागल को समझाए कौन इस बाज़ी में जीत हुआ करती है लेकिन मात के बाद