हर नुक्ता-ए-बुताँ है अदा साज़-ए-दिल-फ़रेब ख़ाली नहीं तरब से ये है नाज़-ए-दिल-फ़रेब ऐसे ठटोलियों से न कर बे-क़रार दिल जीने दे कोई दम तू ऐ तन्नाज़-ए-दिल-फ़रेब शुक्र-ए-ख़ुदा फिरा है मिरा नामा-बर शिताब आ कान में कहे है कई राज़-ए-दिल-फ़रेब है ख़ौफ़-ए-शादी मर्ग न हूँ इस ख़ुशी से मैं उस की ज़बानी सुनते ये आवाज़-ए-दिल-फ़रेब देखा ही क्या बला है जो बे-ख़ुद है 'इम्तियाज़' किस की निगाह-ए-मस्त का अंदाज़-ए-दिल-फ़रेब ख़ाना-ख़राब मुझ से छुपावे है क्यूँ बता देखूँ वो कौन है तिरा दम-साज़ दिल-फ़रेब भर आह रो कहा कि वो मस्त-ए-शबाब है मिलता नहीं किसी से ये ए'ज़ाज़-ए-दिल-फ़रेब