हर रोज़ इम्तिहाँ से गुज़ारा तो मैं गया तेरा तो कुछ नहीं गया मारा तो मैं गया जब तक मैं तेरे पास था बस तेरे पास था तू ने मुझे ज़मीं पे उतारा तो मैं गया ये ताक़ ये चराग़ मिरे काम के नहीं आया नहीं नज़र वो दोबारा तो मैं गया शल उँगलियों से थाम रखा है चटान को छूटा जो हाथ से ये किनारा तो मैं गया अपनी अना की आहनी ज़ंजीर तोड़ कर दुश्मन ने भी मदद को पुकारा तो मैं गया तेरी शिकस्त अस्ल में मेरी शिकस्त है तू मुझ से एक बार भी हारा तो मैं गया