हर सम्त रंग-ओ-नूर का दरिया दिखाई दे हर मौज-ए-रंग में तिरा चेहरा दिखाई दे हर आइने में तेरा सरापा दिखाई दे कोई तो इस जहान में अपना दिखाई दे तय किस तरह हो जादा-ए-नैरंग-ए-आरज़ू हर गाम तेरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा दिखाई दे किरनें गुरेज़-पा हैं तो ख़ुश्बू बहाना-जू ऐ काश कोई अपना शनासा दिखाई दे इक दामन-ए-नज़र कि बचाना मुहाल है इक शोला-ए-बदन कि लपकता दिखाई दे दुनिया-ए-रंग-ओ-नूर बहुत बे-कराँ सही पेश-ए-नज़र जो तू है तो फिर क्या दिखाई दे