हर शख़्स है पा-बस्ता-ब-ज़ंजीर लिखे कौन इस अहद-ए-पुर-आशोब की तफ़्सीर लिखे कौन लिखने थे हमें भी दिल-ए-बेताब के हालात होती है मगर दर्द की तश्हीर लिखे कौन लिखने को मयस्सर हों अगर लौह-ओ-क़लम भी तेरे लब-ओ-रुख़्सार की तफ़्सीर लिखे कौन लिखना जो हुआ मुझ को तो मक़्तल मैं लिखूँगा इस वादी-ए-पुर-ख़ून को कश्मीर लिखे कौन