ये ख़याल और ख़्वाब की दुनिया ऐसी जैसे किताब की दुनिया मेरे दिल में हरम सराए है जैसे बूढ़े नवाब की दुनिया मुंतक़िल हो के अह्द-ए-पीरी में याद आई शबाब की दुनिया क्या तक़ाबुल है मेरी दुनिया से वो है आली-जनाब की दुनिया उन के हम भी क़रीब रहते हैं यार ये है गुलाब की दुनिया अब तो होना है बस अमल-पैरा छोड़ आए निसाब की दुनिया दुनिया-दारी निबाह दी 'राशिद' है अज़ाब-ओ-सवाब की दुनिया