हर सितम सह के मुस्कुरा देना मैं ने सीखा है ग़म भुला देना उँगलियाँ जो उठाते हैं सब पर आइना उन को भी दिखा देना है मोहब्बत की आरज़ू जिन को उन को मेरा पता बता देना उन को आता है क्या सिवा इस के हाल-ए-दिल सुनना मुस्कुरा देना ऐ 'अना' है यही मिरा शेवा अपने दुश्मन को भी दुआ देना