हर तग़य्युर के लिए क़द्र नई बनती है By Ghazal << आँखों में इक तबस्सुम-ए-पि... मत ग़ुस्से के शो'ले स... >> हर तग़य्युर के लिए क़द्र नई बनती है दिल बदल जाते हैं मेयार बदलने के लिए Share on: