हर तरफ़ इज़्तिराब है यारो वक़्त कितना ख़राब है यारो एक इक पल में कर्ब से कितना लम्हा लम्हा अज़ाब है यारो हर तरफ़ तोड़-फोड़ की साज़िश ये भी इक इंक़लाब है यारो आज ईंटों की सर-कशी के लिए पत्थरों का जवाब है यारो रहबर-ए-वक़्त वक़्त के रहज़न क्या अजब इंतिख़ाब है यारो जीना दुश्वार ज़िंदगी मुश्किल इक तरह का इताब है यारो ग़म की तहरीर कह रही है 'नवाज़' चेहरा चेहरा किताब है यारो