हर तरफ़ उजली धनक मौसम हुआ है बर्फ़ बर्फ़ नद्दी-नाले ही नहीं सहरा बना है बर्फ़ बर्फ़ उड़ रहे हैं रूई के गाले फ़ज़ाओं में असीर है लहू भी मुंजमिद चेहरा हुआ है बर्फ़ बर्फ़ इक हसीना की सियह-ज़ुल्फ़ों पे झाला यूँ लगे नाग काला छग के जैसे पी गया है बर्फ़ बर्फ़ मुस्कुराना ऐसे मौसम में कहाँ आसान है होंट नीले पड़ गए हैं इस पर हवा है बर्फ़ बर्फ़ बर्फ़ की चादर है या फिर बर्फ़ का है रेगज़ार देखता हूँ जिस तरफ़ आलम हुआ है बर्फ़ बर्फ़ जब कभी 'हस्सास' बर्फ़ानी हवा तन पर लगी याद आई गाँव की आँसू पिया है बर्फ़ बर्फ़