हर वरक़ इक किताब हो जाए अक्स-ए-जल्वा नक़ाब हो जाए फूल देखा था ख़्वाब में कल इक आज ताबीर-ए-ख़्वाब हो जाए ख़ुद-बख़ुद तेरी लय पे बजने लगे साँस तार-ए-रबाब हो जाए एक मुश्किल का वक़्त वो होगा जब दुआ मुस्तजाब हो जाए इक क़यामत है आप का वा'दा चलिए ये भी अज़ाब हो जाए मुझ को काँटों पे तोलने वाले तू शगुफ़्ता गुलाब हो जाए सज्दा-ए-इश्क़ कर अदा 'तरज़ी' ये भी कार-ए-सवाब हो जाए