हश्र में फिर वही नक़्शा नज़र आता है मुझे आज भी वादा-ए-फ़र्दा नज़र आता है मुझे ख़लिश-ए-इश्क़ मिटेगी मिरे दिल से जब तक दिल ही मिट जाएगा ऐसा नज़र आता है मुझे रौनक़-ए-चश्म-ए-तमाशा है मिरी बज़्म-ए-ख़याल इस में वो अंजुमन-आरा नज़र आता है मुझे उन का मिलना है नज़र-बंदी-ए-तदबीर ऐ दिल साफ़ तक़दीर का धोका नज़र आता है मुझे तुझ से मैं क्या कहूँ ऐ सोख़्ता-ए-जल्वा-ए-तूर दिल के आईने में क्या क्या नज़र आता है मुझे दिल के पर्दों में छुपाया है तिरे इश्क़ का राज़ ख़ल्वत-ए-दिल में भी पर्दा नज़र आता है मुझे इबरत-आमोज़ है बर्बादी-ए-दिल का नक़्शा रंग-ए-नैरंगी-ए-दुनिया नज़र आता है मुझे