हसीं रुतों ने मिरे साथ जिस का नाम लिया मैं गिर रहा था कि आ कर उसी ने थाम लिया उदासी हब्स धुआँ इश्क़ बेकली सहरा सभी ने मुझ से फ़क़त अपना अपना काम लिया बदल चुके थे क़वानीन-ए-जंग सो मैं ने दिया बुझा के अंधेरे से इंतिक़ाम लिया वो इश्क़ बन के धड़कने लगा है सीनों में फ़ना के हाथ से जिस ने बक़ा का जाम लिया इक इज़्तिराब में अपने ज़मीर का मतलब ख़ुदा लिया है किसी ने किसी ने राम लिया