हसरतों को न ज़ेहन रुस्वा करें दूर हट जाएँ उन को रस्ता करें कौन कहता है वो पुकारा करें अपनी आँखों का बस इशारा करें संग पड़ने लगे रक़ीबों पे कैसे तस्लीम ये ख़सारा करें ख़ूब लगते हैं कितने गुल-दस्ते सब अदाओं को आप यकजा करें सारे किरदार इत्मिनान में हैं अब कहानी में मोड़ पैदा करें आग किस तरह हम रखें ज़िंदा साँस को और कितना गहरा करें