हस्ती को अपनी शोला-ब-दामाँ करेंगे हम ज़िंदाँ में भी गए तो चराग़ाँ करेंगे हम बरहम हों बिजलियाँ कि हवाएँ ख़िलाफ़ हों कुछ भी हो एहतमाम-ए-गुलिस्ताँ करेंगे हम दामन की क्या बिसात गिरेबाँ है चीज़ क्या नज़र-ए-बहार नक़द-ए-दिल ओ जाँ करेंगे हम ज़ुल्मत से बे-कराँ तो उजाले भी कम नहीं हर दाग़-ए-दिल को आज फ़रोज़ाँ करेंगे हम अब देखते हैं कौन उड़ाता है रंग-ओ-बू अपना लहू शरीक-ए-बहाराँ करेंगे हम जिन को फ़रेब-ए-शौक़ में आना था आ चुके अब तो तिरे करम को पशीमाँ करेंगे हम