हाथों में लिए दिल के नज़राने नज़र आए यूँ भी तिरी राहों में दीवाने नज़र आए फ़र्ज़ानों की बस्ती में दीवाने नहीं देखे दीवानों की बस्ती में फ़रज़ाने नज़र आए अब तक तिरी दुनिया का इक़बाल था रखवाला आगे तिरी दुनिया में क्या जाने नज़र आए कलियों के चटकते ही ये कैसी फ़ज़ा बदली दामन में गुलिस्ताँ के वीराने नज़र आए माज़ी के धुँदलकों में मैं खो सा गया अक्सर ऐसे भी रिसालों में अफ़्साने नज़र आए गुज़रे न 'जलील' ऐसे हालात से दुश्मन भी जाने हुए साथी भी अनजाने नज़र आए