हवा में ज़ोर उधर सूद-ओ-ज़ियाँ का इधर पैवंद-ए-ख़स्ता बादबाँ का दरीचा खोलने से आर तुम को हमें भी डर बहुत है शहर-ए-जाँ का मिरे हिस्से में है ख़ाना-ख़राबी तिरी क़िस्मत में रस्ता कहकशाँ का चलो चल कर तकान अपनी उतारें कहीं रस्ता न खो जाए मकाँ का किसी के पल्ले क्या पड़ती कहानी वरक़ गुम है हमारी दास्ताँ का ये किस से मो'जिज़ा सरज़द हुआ है हर इक दर खुल गया है जिस्म-ओ-जाँ का सजाएँ बा-दिल-ए-ना-ख़्वास्ता क्यों ज़बान-ए-यार में तख़्ता दुकाँ का