हवा के दोष पे किस गुल-बदन की ख़ुशबू है गुमान होता है सारे चमन की ख़ुशबू है क़रीब पा के तुझे झूमता है मन मेरा जो तेरे तन की है वो मेरे मन की ख़ुशबू है बला की शोख़ है सूरज की एक एक किरन पयाम-ए-ज़िंदगी हर इक किरन की ख़ुशबू है गले मिली कभी उर्दू जहाँ पे हिन्दी से मिरे मिज़ाज में उस अंजुमन की ख़ुशबू है अजीब सेहर है ऐ दोस्त तेरे आँचल में बड़ी अनोखी तिरे पैरहन की ख़ुशबू है वतन से आया है ये ख़त 'रक़ीब' मेरे नाम हर एक लफ़्ज़ में गंग-ओ-जमन की ख़ुशबू है