हवा के झोंके शजर को तो बे-क़बा करेंगे तिरे दिवाने बहार आने पे क्या करेंगे हमारे हाथों में आइना तो सदा रहेगा कि दोस्तों को ख़फ़ा किया है ख़फ़ा करेंगे हमारी नेकी अगरचे दरिया में जा पड़ी है मगर सभी का भला किया है भला करेंगे वो जिस तकल्लुफ़ से हम से मिलता है रोज़ आ कर उसी तकल्लुफ़ से हम भी उस से मिला करेंगे अभी अकेले हैं इस लिए जम के सो रहे हैं अगर वो आ जाएगा तो फिर रत-जगा करेंगे