हवा की ज़द पे तो कोई चराग़ रहने दे ये हौसलों की लड़ाई है इस को चलने दे न जाने कौन भटकता हुआ चला आए किवाड़ बंद किया है दिया तो जलने दे अभी तो और उठेंगे नक़ाब चेहरों से ये इक़्तिदार का सूरज तो और ढलने दे ये कोएला से बना देंगे तुझ को इक हीरा ये अंदरूँ में है जो आग इस को जलने दे कोई तो है जो ये असरार काएनात में हैं ये सब खुलेंगे ज़रा और दिन निकलने दे 'नदीम' आएँगे वो बंध के कच्चे धागे से इस आरज़ू को ज़रा और दिल में पलने दे