हवा से बात करने के लिए था चराग़-ए-शब बिखरने के लिए था जिसे तुम और गहरा कर रहे हो वही तो ज़ख़्म भरने के लिए था वो वापस लौट के आया नहीं है बरस यूँही गुज़रने के लिए था वो चेहरा भूलता जाता है मुझ को जो कैनवस पर उतरने के लिए था मिरा ख़ामोश हो जाना अचानक शिकायत तुम से करने के लिए था नए मौसम से मेरा शाम मिलना तिरी उम्मीद करने के लिए था इक ऐसा हादिसा भी हो चुका है जो काफ़ी उस के मरने के लिए था