हवादिस हम-सफ़र अपने तलातुम हम-इनाँ अपना ज़माना लूट सकता है तो लूटे कारवाँ अपना नसीम-ए-सुब्ह से क्या टूटता ख़्वाब-ए-गिराँ अपना कोई नादान बिजली छू गई है आशियाँ अपना हमें भी देख लो आसार-ए-मंज़िल देखने वालो कभी हम ने भी देखा था ग़ुबार-ए-कारवाँ अपना मिज़ाज-ए-हुस्न पर क्या क्या गुज़रता है गिराँ फिर भी किसी को आ ही जाता है ख़याल-ए-ना-गहाँ अपना अज़ल से कर रही है ज़िंदगानी तजरबे लेकिन ज़माना आज तक समझा नहीं सूद ओ ज़ियाँ अपना जमाल-ए-दोस्त को पैहम बिखरना है सँवरना है मोहब्बत ने उठाया है अभी पर्दा कहाँ अपना हमेशा शम्अ भड़केगी सदा पैमाना छलकेगा तिरी महफ़िल में हम छोड़ आए हैं जोश-ए-बयाँ अपना