उन की ख़ुशी यही है तो अच्छा यूँही सही उल्फ़त का नाम आज से दीवानगी सही हर-चंद ना-मुराद हूँ फिर भी हूँ कामयाब कोशिश तो की है कोशिश-ए-बर्बाद ही सही ग़ुंचों के दिल से पूछिए लुत्फ़-ए-शगुफ़्तगी बाद-ए-सबा पे तोहमत-ए-आवारगी सही जब छिड़ गई है काकुल-ए-सब-रंग की ग़ज़ल ऐसे में इक क़सीदा-ए-रुख़्सार भी सही 'माहिर' से इज्तिनाब न फ़रमाएँ अहल-ए-दिल अच्छों के साथ एक गुनहगार भी सही