हवास-ओ-होश पे छाया ख़ुमार किस का है कोई नहीं है तो फिर इंतिज़ार किस का है अगर शबीह तुम्हारी है आइने जैसी तो फिर ये पैरहन-ए-दाग़-दार किस का है हमारे ज़ख़्मों पे आँसू हैं किस की आँखों में हमारे सोग में सीना-फ़िगार किस का है वही बताएँ जो आलूदगी को रोते हैं ज़मीं से ता-ब-सुरय्या ग़ुबार किस का है पड़ा मिला है कहीं एक चाँद का टुकड़ा बताए कौन कि ये शाहकार किस का है ख़ुशी पे रोने लगे और ग़म पे हँसने लगे दिल-ए-हज़ीं पे 'ज़फ़र' इख़्तियार किस का है