हिज्र अच्छा विसाल अच्छा है तर्क-ए-उल्फ़त ख़याल अच्छा है इब्तिदा है न इंतिहा अच्छी इश्क़ में ए'तिदाल अच्छा है कोई सूरत ही बन रही होगी चेहरा-ए-ख़द्द-ओ-ख़ाल अच्छा है ज़िंदगानी असीर करने को गेसुओं का ये जाल अच्छा है क्या ज़माना है ये ज़माना भी अच्छा भी ख़ाल-ख़ाल अच्छा है आशिक़ी के उरूज को 'हस्सान' इस अना पर ज़वाल अच्छा है