हिज्र हिजरत से सिवा हो गया घर आते ही मैं तो ख़ुद से भी जुदा हो गया घर आते ही ऐसे सोए हैं कि मरता भी न होगा कोई जागते रहना बला हो गया घर आते ही मैं गुनहगार-ए-सफ़र था मुझे क्या नींद आती मैं तो मसरूफ़-ए-दुआ हो गया घर आते ही मैं ने सोचा था कि घर जा के मना लूँगा उसे दिल तो कुछ और ख़फ़ा हो गया घर आते ही एक दस्तक का बड़ा क़र्ज़ था मुझ पर 'आसिम' और वो क़र्ज़ अदा हो गया घर आते ही