हिज्र से वस्ल इस क़दर भारी सुब्ह से दिल पे हौल है तारी अपनी उफ़्ताद-ए-तब्अ क्या कहिए! वही देरीना दिल की बीमारी उन के चेहरे पे फ़त्ह के बा-वस्फ़ इंफ़िआल-ए-शिकस्त है तारी दिल कई रोज़ से धड़कता है है किसी हादसे की तय्यारी बाज़ औक़ात अज़्म-ए-तर्क-ए-वफ़ा ऐन मिन-जुमला-ए-वफ़ादारी उन को तकलीफ़-ए-नाज़ देता हूँ हाए ये ख़ू-ए-दोस्त-आज़ारी जान-लेवा सही जराहत-ए-इश्क़ अक़्ल का ज़ख़्म है बहुत कारी काश मुझ को हिसार में ले ले मेरे घर की चहार-दीवारी