हिसार-ए-ज़ात में सारा जहान होना था क़रीब ऐसे तुझे मेरी जान होना था तिरी जबीं पे शिकन क्यूँ विसाल-लम्हे में मोहब्बतों का यहाँ तो निशान होना था तुम्हारे छूने से कुछ रौशनी बदन को मिली वगरना उस को फ़क़त राख-दान होना था तुम्हारी नफ़रतों ने मिट्टी में मिला डाला जो ख़्वाब तारा सा पलकों की शान होना था बहुत ही थोड़ी थी दिल में तुम्हारे उम्र मिरी थी ख़्वाब-ज़ाद मुझे दास्तान होना था बिछड़ गया तो 'शबाना' मलाल क्या करना उसे बिछड़ना था वहम ओ गुमान होना था