हिस्सा मिरे मकान का मुझ को भी चाहिए इक गोशा आसमान का मुझ को भी चाहिए तुम को भी चाहिए तो चलो बाँट लेते हैं साया तो साएबान का मुझ को भी चाहिए मुझ को भी देखना है कहाँ है मिरा मकान नक़्शा तिरे जहान का मुझ को भी चाहिए हलकान हो रहा हूँ मैं तेरे फ़िराक़ में हर्जाना मेरी जान का मुझ को भी चाहिए कब तक मैं भेड़ियों से हिरासाँ फिरा करूँ अब आसरा मचान का मुझ को भी चाहिए